हरि जी म्हारी सुणज्यो बैग पुकार (भजन) - HARI JI MHARI SUNJYO BAIG PUKAR

  (29) भजन हरि जी म्हारी सुणज्यो बैग पुकार । जुगां–जुगां से आप प्रगटया , जग के सिरजनहार ।।टेर।। भक्त उबारण ताँई लीना , थे नृसिंह अवतार । खंभ फाड़ प्रहलाद उबारया , हिरणाकुश ने मार ।।1।। हरिश्चन्द्र सतवादी तारया , लिया वचन ने धार । बेच दिया अपना सुत नारी , बिक गया बिच बाजार ।।2।। मीरां बाई को जहर पचाया , हाँथा लिया उबार । नानी बाई को भात भरया थे , जाण्यो सब संसार ।।3।। मैं भी आज शरण में आयो , लियो चरण आधार । ‘ अशोकराम ’  की अरजी सुणज्यो , देवो दुखड़ा टार ।।4।।

श्री अशोकराम जी महाराज का संक्षिप्त परिचय

 श्री अशोकराम जी महाराज का संक्षिप्त परिचय

जन्म 14 जून , 1971

पिता है जगदीश जी , माता कस्तूरी जाण ।

तीन बन्धु गण मैरे , गोत्तम , पूरण , भगवान ।।

त्रिया है देवी सन्तरा , दो पुत्र इक पुत्री सन्तान ।

निराला मंम वंश है , चौबदार जाति मान ।।

ज्ञानस्वरूप गुरूदेवजी , मिल गये सन्त महान ।

अशोकराम शरणो लियो , जन्म है शिवाड़ ग्राम ।।

 

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परम ज्ञान प्रकाश WRITING

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